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कोई साथ नहीं रहता
शीशा कितना भी मजबूत हो ठोकर खाते ही टूट जाता है, उसी प्रकाश संगी कितना भी संग रहे मगर एक न एक दिन साथ छूट ही जाता है…
शीशा कितना भी मजबूत हो ठोकर खाते ही टूट जाता है, उसी प्रकाश संगी कितना भी संग रहे मगर एक न एक दिन साथ छूट ही जाता है…