संभाल के

कभी भी कदम रखना, कभी भी तुम कदम रखना तो रखना संभल के।। क्योंकि तेरे कदमों में जहां है, रखना… संभाल के।।

अनम्य

अगर कितनी भी हवा आए मगर पर्वत झुकता नहीं।। और प्रवाहित पवन को पर्वत रोकता नहीं…

कर्म अमर है

,, मेहनत वो मुमताज है जो मंजिल तक पहुंचती है।। ,, मोहब्बत वो मुमताज है “मुस्कुरा के फसाती है”मरते दम तक। रुलाती है…