इश्क

इज़हार करने से इश्क हो जाता है।। मगर श्रृंगार जितना भी करो, अधुरा ही रह जाता है… ***कवि सोरु@

अगर

अगर प्यार में पाने वाले ने, क्या नहीं पाया है।। ये तो करिश्मा है, कुदरत का।। मगर इश्क में मजनू, सब कुछ लुटाया है।। कवि सोरु…

हर

हर जहाँ गाएगी, हर महफ़िल सजाएगी । हमने लिखा ही है, ऐसा गीत की।। बाहारें भी, गुन-गुनाएगी।। कवि सोरु…

इश्क

इश्क़ करना ही, जिंदगी की खूबसूरत पल है।। इश्क़ न करना ही, जिंदगी की बदसूरत पल है।। अर्थात जीवन प्रेम से ही पलता है… कवि सोरु